
इन-बिल्डिंग समाधान
मोबाइल कवरेज समाधान मोबाइल परिचालकों के लिए दूरसंचार उद्योग का एक अभिन्न अंग माना जाता है। प्रमुख कवरेज समाधान जीबीटी (ग्राउंड बेस्ड टॉवर), आरटीटी (रूफ़टॉप टॉवर) के माध्यम से बाहरी कवरेज द्वारा किया जाता है जिसे अधिकांश रुप से मेक्रो साइट्स कहा जाता है। आज के दौर में जहां मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, वहीं व्यावसायिक भवनों, अस्पतालों, सरकारी भवनों, शॉपिंग मॉल इत्यादि के भीतर मोबाइल कवरेज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है और इन स्थानों पर जाने वाले लोगों को मोबाइल कनेक्ट रखने तथा उससे बातचीत करने में समस्या आती है। उन्हें प्रमुख रुप से खराब कवरेज, कॉल ड्रॉप, बिजी नेटवर्क जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसीलिए प्रौद्योगिकी में सुधार लाया गया और इंडोर कवरेज समाधानों को कार्यान्वित किया गया। इसी समाधान को इन बिल्डिंग समाधान के नाम से जाना जाता है।
मोबाइल परिचालकों ने ऐसे स्थानों, जहां नेटवर्क कमजोर रहता है और कॉल ड्रॉप की समस्या आती है, में आईबीएस स्थापित करने की योजना बनाई और 2000 के बाद से परिचालकों द्वारा एक बड़े स्तर पर आईबीएस लगाए गए। उन्होंने इनसाइड क्षेत्र को माइक्रो साइट्स का नाम दिया। इसके प्रारंभिक कार्य में निकटतम बाहरी स्थल से एमडब्ल्यू सिग्नल प्राप्त करना था और भवन के भीतर आरएफ़ सिग्नल पारित करना था। यह सिग्नल आरएफ़ केबल्स द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए एंटीना के माध्यम से पारेषित होते हैं। इस अनुप्रयोग के लिए लगाए गए बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) में 20 वॉट की पावर होती है जिसके चलते वांछित स्थानों पर -55डीबीएम से -75डीबीएम तक एकरूपी कवरेज स्तर बनाए रखते हुए आरएफ़ पॉवर को पारेषित किया जा सकता है। इससे ग्राहकों को बिना किसी बाधा के कॉल करने और प्राप्त करने में सुविधा होती है। परिचालक भी सुविधा से लाभान्वित हुए हैं क्योंकि इसके चलते अब वे निकट के बाहरी क्षेत्रों में आउटडोर सेटअप लगा सकते हैं जो कि अभी तक मेट्रो साइट्स के कारण साध्य नहीं था।
टीसीआईएल ने विभिन्न सरकारी भवनों जैसे कि एम्स दिल्ली, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, दिल्ली, भगवान महावीर अस्पताल, दिल्ली और संजय गांधी अस्पताल दिल्ली इत्यादि में आई बी एस समाधान को सफलतापूर्वक स्थापित किया और इसका संचालन किया जा रहा है।
मोबाइल परिचालकों ने ऐसे स्थानों, जहां नेटवर्क कमजोर रहता है और कॉल ड्रॉप की समस्या आती है, में आईबीएस स्थापित करने की योजना बनाई और 2000 के बाद से परिचालकों द्वारा एक बड़े स्तर पर आईबीएस लगाए गए। उन्होंने इनसाइड क्षेत्र को माइक्रो साइट्स का नाम दिया। इसके प्रारंभिक कार्य में निकटतम बाहरी स्थल से एमडब्ल्यू सिग्नल प्राप्त करना था और भवन के भीतर आरएफ़ सिग्नल पारित करना था। यह सिग्नल आरएफ़ केबल्स द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए एंटीना के माध्यम से पारेषित होते हैं। इस अनुप्रयोग के लिए लगाए गए बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) में 20 वॉट की पावर होती है जिसके चलते वांछित स्थानों पर -55डीबीएम से -75डीबीएम तक एकरूपी कवरेज स्तर बनाए रखते हुए आरएफ़ पॉवर को पारेषित किया जा सकता है। इससे ग्राहकों को बिना किसी बाधा के कॉल करने और प्राप्त करने में सुविधा होती है। परिचालक भी सुविधा से लाभान्वित हुए हैं क्योंकि इसके चलते अब वे निकट के बाहरी क्षेत्रों में आउटडोर सेटअप लगा सकते हैं जो कि अभी तक मेट्रो साइट्स के कारण साध्य नहीं था।
टीसीआईएल ने विभिन्न सरकारी भवनों जैसे कि एम्स दिल्ली, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, दिल्ली, भगवान महावीर अस्पताल, दिल्ली और संजय गांधी अस्पताल दिल्ली इत्यादि में आई बी एस समाधान को सफलतापूर्वक स्थापित किया और इसका संचालन किया जा रहा है।